देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई)

ने शुक्रवार शाम एक जरूरी जानकारी साझा की , जिसके चलते होम लोन समेत दूसरे लोन पर चल रही ईएमआई चुकाने वाले कर्जदारों पर बड़ा असर पड़ सकता है। एसबीआई ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा, ‘आरबीआई के नीतिगत दर में बदलाव त्वरित रूप से ग्राहकों को देने के मसले के हल के लिये एक मई 2019 से हमने बचत बैंक जमा तथा अल्पकालीन मियादी कर्ज के लिये ब्याज दर को रिजर्व बैंक की रीपो दर से जोड़ने का निर्णय किया है।

बैंक ने देर शाम एक बयान में कहा कि नई दरें एक मई से प्रभावी होगी। इस कदम से रिजर्व बैंक के नीतिगत दर (रीपो) में कटौती का लाभ तत्काल ग्राहकों को मिल सकेगा। बता दें कि फिलहाल लोन बैंक के फंड की कॉस्ट से लिंक होते हैं जो कि बैंक द्वारा हर महीने घोषित किए जाने वाले लेंडिंग रेट (MCLR) बेस्ड इंटरनल बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स के जरिए प्रदर्शित होता है।

MCLR पहले की तरह बरकरार रहेगा लेकिन बचत खातों की दर को रीपो रेट से जोड़ने पर, पॉलिसी रेट के साथ कॉस्ट ऑफ फंड बदलेगा ताकि बेहतर ट्रांसमिशन हो सके। हालांकि, पहले की तुलना में बैंकों को अब अपनी असेट-लायबिलिटी मैनेजमेंट (ALM) को मैनेज करने के लिए लचीलापन मिलता है।

रिजर्व बैंक, बैंकों के साथ बार-बार इस मुद्दे को उठाता रहा है कि वह जितना रीपो दर में कटौती करता है, बैंक उतना लाभ अपने ग्राहकों को नहीं देते। अब ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। जब ब्याज दर कम होगी तो कर्जदारों पर ईएमआई का बोझ कम हो जाएगा जबकि ब्याज दर बढ़ने पर ईएमआई ज्यादा हो जाएगी।

किस पर नहीं पड़ेगा असर 
अभी एसबीआई 1 करोड़ रुपये तक के बचत बैंक जमा पर ब्याज दर 3.50 प्रतिशत है जबकि 1 करोड़ से ज्यादा के जमा पर यह दर 4 प्रतिशत है। हालांकि, इस कदम से सभी जमाकर्ताओं को लाभ नहीं होगा क्योंकि नई दर उन्हीं खातों पर लागू होगी जिनके खातों में एक लाख रुपये से अधिक राशि होगी। रीपो दर इस समय 6.25 प्रतिशत है। केंद्रीय बैंक ने सात फरवरी को रीपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की। बैंक ने कहा कि वह एक लाख रुपये से अधिक के जमा पर ब्याज को रीपो दर से जोड़ेगा। फिलहाल इस पर ब्याज 3.5 प्रतिशत है जो मौजूदा रेपो दर से 2.75 प्रतिशत कम है। बैंक ने सभी नकद रिण खातों और एक लाख रुपये से अधिक की ओवरड्राफ्ट सीमा वाले खातों को भी रीपो दर जमा 2.25 प्रतिशत की दर से जोड़ दिया है।

असर 
अब अगर रीपो रेट में कटौती होगी तो एसबीआई को बचत खाताधारकों को कम ब्याज दनी होगी और बैंक का कॉस्ट ऑफ फंड भी नीचे गिरेगा। कॉस्ट ऑफ फंड में गिरावट होने से MCLR और लेंडिंग रीपो रेट कम होगी। ऐसी स्थिति में पहले की तुलना में ज्यादा उतार-चढ़ाव होने की उम्मीद है। इससे पहले एसबीआई को सेविंग अकाउंट पर ऊंची फिक्स्ड ब्याज दर देनी होती थी चाहें रीपो रेट ज्यादा हो या कम।

हालांकि, अब यह देखना होगा कि एसबीआई के नए कदम से होम लोन लेने वालों की ईएमआई पर कितना असर पड़ता है, खासतौर पर जो मौजूदा समय में लोन लिया हुआ है। ब्याज दर बढ़ने के समय, ईएमआई तेजी से बढ़ेगी।